मैने बारह दिन के लॉक डाउन स्टोरी मिरर पर हर एक दिन कविता लिखकर बिताया। मैने बारह दिन के लॉक डाउन स्टोरी मिरर पर हर एक दिन कविता लिखकर बिताया।
बहते आंसू रोकूं कैसे यादों की चादर ओढ़ लेती हूँ। बहते आंसू रोकूं कैसे यादों की चादर ओढ़ लेती हूँ।
तुम खुश रहो अपनी दुनिया में अब तो बस यही है दुआ हमें तुमसे न कोई गिला, जो हुआ सो हुआ। तुम खुश रहो अपनी दुनिया में अब तो बस यही है दुआ हमें तुमसे न कोई गिला, जो हुआ...
पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी। मै सुन्न खड़ा रहा वो आगे बढ़ गयी। पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी। मै सुन्न खड़ा रहा वो आगे बढ़ गयी।
बनाने में किसी का तन गया, किसी का बचपन गया। बनाने में किसी का तन गया, किसी का बचपन गया।
खुश रहो सदा, चाहे रहो, जहाँ कहीं। खुश रहो सदा, चाहे रहो, जहाँ कहीं।